दीपक शर्मा  जौनपुर उ.  प्र.

उम्मीद 
    
प्रातःकाल 
जब सुनाई देती है
मन्दिरों में घंटियों की आवाज़
मस्ज़िदों में गूँजता अज़ान
रसोई में खनकती
माँ के हाथों की चूड़ियाँ
नन्हकू के बल्टे की घनघनाहट
तब दिखाई देती है 
हर किसी को उम्मीद 


काली रात को रोशनी की उम्मीद 


अशोक वाटिका में
बैठी जानकी को 
रावण के कैद से
आज़ाद हो जाने की उम्मीद 


चाणक्य को
घनानंद की
क्रूर सत्ता को नष्ट कर
नव-भारत सृजन की उम्मीद 


गांधी को
पाप,  हिंसा,  दुराचार
असत्य,  घृणा,  भ्रष्टाचार 
धर्म, जाति, भेद से मुक्त राष्ट्र की उम्मीद 


होरी और धनिया को
सरपंच से न्याय की उम्मीद 


बगीचे में महुआ बीन रहे
छोटू और दुलारी 
(जो कल रात भूखे पेट सो गये थे) 
को रोटी की उम्मीद 


साइकिल पर अखबार लिए
करन को 
स्कूल फीस की उम्मीद 


तिमिर स्वप्न को यथार्थ की उम्मीद। 


-दीपक शर्मा 
जौनपुर उ.  प्र.


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