....................शराब........................
सब कहते हैं , शराब एक बुरी चीज है।
मैं कहता हूँ , ये बड़ी अजीब चीज है ।।
कोई पिता है इसे , गम भुलाने के लिए,
कोई पिता है इसे , दिल बहलाने के लिए।
कोई पिता है इसे , जान लुटाने के लिए,
कोई पिता है इसे, खुशी जताने के लिए।।
है दुनियाँ में इसके , बराबर कुछ नहीं,
क्योंकि दोनों ही हालतों में , लगे वो सही।
मगर मेरे दोस्त , इसकी लत ठीक नहीं,
जिसे लत लग जाती , गिरते वो कहीं।।
पीकर इसे खुद को , समझते हैं बादशाह,
कर लेते हैं लड़ाई , दूसरों से खा मखाह।
नहीं मानते हैं वो , हमदर्दों की सलाह,
प्यार करते हैं वो , मयखाने को बेपनाह।।
गैरों की नहीं अपनी , सुनाता हूँ दास्ताँ,
कभी पी थी मैंने , छोड़कर ये जहाँ।
लेकिन कैसे करूँ , बदसलूकी की वयां,
थी होश मुझे दुनियादारी की कहाँ।।
इसलिए मेरे दोस्त,कसम खाओ ये अभी,
न होठों से लगाओगे , शराब अब कभी।
जो भी अपने भूले बिसरे हो कहीं,
उन्हें अपनों से , मिलाओ अब सभी।।
----------देवानंद साहा "आनंद अमरपुरी"
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