..............कविता(रचना)...............
कविता नहीं है सिर्फ शब्दों का खेल।
अच्छी रचना है भावनाओं का मेल।।
सही रचना वही कर सकते हैं;
जो आगे बढ़ते परेशानियों को झेल।।
रचनाओं में पैदा, दर्द तब हो पाता ;
जब अनुभव हो परिस्थिति के जेल।।
जो रचनाएं पाठकों को भा जाए ;
उन्हें लोकप्रिय बना देते हैं वे ठेल।।
कुछ रचनाएं होते हैं स्वांतः सुखाय ;
कुछ भक्ति,देशभक्ति देते हैं उड़ेल।।
कल की रचना आज के लिए दर्पण;
आज की रचना कल के लिए बेल।।
रचना में जो गहरे डूबा है "आनंद" ;
अब अच्छा नहीं लगता कोई खेल।।
-----देवानंद साहा"आनंद अमरपुरी"
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