...........जिंदगी में ये कौन आया.............
मेरी अंधेरी जिंदगी में ये कौन आया ।
मेरी बिगड़ती जिंदगी में ये कौन आया।।
हर तरफ से हो चुका था मैं निराश ;
मेरी बहकती जिंदगी में ये कौन आया।।
मेरी कोशिश थी किसी तरह संवर जाऊं ;
मेरी भटकती जिंदगी में ये कौन आया।।
ज़फा की आग में जलता रहा हूं मैं ;
मेरी सुलगती जिंदगी में ये कौन आया।।
वफादारी का अब तक मिला नहीं सिला;
मेरी गुजरती जिंदगी में ये कौन आया।।
अब तक नहीं जगी थी उम्मीद की किरण;
मेरी बिलखती जिंदगी में ये कौन आया।।
अंत समय में दिखा है उम्मीद "आनंद" ;
मेरी संवरती जिंदगी में ये कौन आया।।
---------- देवानंद साहा "आनंद अमरपुरी"
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