देवानंद साहा "आनंद अमरपुरी "

.....................नखरेवाली साली...........................


बिल्कुल     है    नखरेवाली   ,   मेरी    अपनी    साली ।
फिर भी  लगती  है अच्छी , उनकी  हर  अदा  निराली।।
उनकी  शोख अदाएं  बरबस , मोह   लेती  है  मन  मेरा।
उनकी  खिलखिलाहट  पर , झूम  उठता  उपवन  मेरा।।


जब वह  मुस्कुराती , दौड़  जाती  है कपोलों पर  लाली।
चमचमाती है बिंदिया ,हिलने लगती है कानों की बाली।।
वह  खुश  हो  ऐसे  बलखाती , ज्यों  फूलों  की  डाली  ।
गुलाब  की  पंखुड़ियों  सी आ जाती  है होठों पे लाली।।


मेरी साली  सौंदर्य  की  प्रतिमा और  है स्नेह की प्रतीक।
पारिवारिक खुशीऔर गम में,होती सहृदयता से शरीक।।
शौक  उसे  चित्रकारी  की , उतारती  है दिल  में  तस्वीर।
न   जाने   सँवारेगी  वह , किस   दीवाने  की   तक़दीर।।


लेकिन  शायद  उनपर  सवार  है , आशिक़ी  का  शुरुर।
करती  है  हमेशा , अपने   दिवाने  पर   बेइंतहा   गुरुर।।
फिर  भी  कभी-कभी  वह , नजर आती  काफी  उदास।
रहती  है  बिल्कुल  तन्हा , बैठती  नहीं  किसी के पास।।


उनकी   नहीं    बर्दास्त  मुझे  ,  न  ही  उनकी  खामोशी।
मिले  उम्र कैद  की  सज़ा उसे , जो  हो  इसका  दोषी ।।
भगवान  शीघ्र  अचल  सुहाग दे,चमके सिंदूर की लाली।
रँगे  उनके  हर  दिन होली , जगमगाए हर रात दिवाली।।


---------------------------देवानंद साहा "आनंद अमरपुरी "


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