.....................नखरेवाली साली...........................
बिल्कुल है नखरेवाली , मेरी अपनी साली ।
फिर भी लगती है अच्छी , उनकी हर अदा निराली।।
उनकी शोख अदाएं बरबस , मोह लेती है मन मेरा।
उनकी खिलखिलाहट पर , झूम उठता उपवन मेरा।।
जब वह मुस्कुराती , दौड़ जाती है कपोलों पर लाली।
चमचमाती है बिंदिया ,हिलने लगती है कानों की बाली।।
वह खुश हो ऐसे बलखाती , ज्यों फूलों की डाली ।
गुलाब की पंखुड़ियों सी आ जाती है होठों पे लाली।।
मेरी साली सौंदर्य की प्रतिमा और है स्नेह की प्रतीक।
पारिवारिक खुशीऔर गम में,होती सहृदयता से शरीक।।
शौक उसे चित्रकारी की , उतारती है दिल में तस्वीर।
न जाने सँवारेगी वह , किस दीवाने की तक़दीर।।
लेकिन शायद उनपर सवार है , आशिक़ी का शुरुर।
करती है हमेशा , अपने दिवाने पर बेइंतहा गुरुर।।
फिर भी कभी-कभी वह , नजर आती काफी उदास।
रहती है बिल्कुल तन्हा , बैठती नहीं किसी के पास।।
उनकी नहीं बर्दास्त मुझे , न ही उनकी खामोशी।
मिले उम्र कैद की सज़ा उसे , जो हो इसका दोषी ।।
भगवान शीघ्र अचल सुहाग दे,चमके सिंदूर की लाली।
रँगे उनके हर दिन होली , जगमगाए हर रात दिवाली।।
---------------------------देवानंद साहा "आनंद अमरपुरी "
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