देवानंद साहा "आनंद अमरपुरी"

...............तेरी दुनियां से................


अब कोई वास्ता नहीं, तेरी  दुनियां से।
निकलता रास्ता नहीं, तेरी दुनियां से।।


हम थे  तुम्हारे  प्यार के  मुरीद  पहले ;
अब कोई दास्तां नहीं, तेरी दुनियां से।।


किया इंतजार बहुत,कोई बंदगी मिले ;
पर कोई खांसता नहीं,तेरी दुनियां से।।


तेरी बेरुखी से हम तो परेशान हो गए ;
अब कोईआस्था नहीं,तेरी दुनियां से।।


कोई समझे  हमारी  दिली मजबूरियां;
कोई भी लालसा नहीं,तेरी दुनियां से।।


हम पाहमाल हो गए तेरी खिदमत में ;
उम्मीद दिखता नहीं , तेरी दुनियां से।।


अब तो आखरी पड़ाव पहुंचा"आनंद"
घटता फासला नहीं , तेरी दुनियां से।।


----- देवानंद साहा "आनंद अमरपुरी"


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...