............होली (बसन्त) गीत...........
होली का त्यौहार , रंगों के बौछार ।
सबको मस्ती देने, आया सबके द्वार।।
बसन्त की बहार , मन में फुहार ।
लाये सबके दिल में , बहार ही बहार।।
मन भर मिठाई , पुए का आहार।
एक दूजे से मिलन,ले देकर उपहार।।
आम का अमोट , चटनी और अचार।
कोयल के तान , प्रकृति का श्रृंगार।।
प्रह्लाद की भक्ति , होलिका का संहार।
हिरण्यकश्यप का , टूटा अहंकार ।।
तब से हुआ , इस त्यौहार का विस्तार।
झुंडों में होली गाने का,हुआ भरमार।।
सबसे हो दोस्ती,दुश्मनी का तिरस्कार।
यही मूलमंत्र ले , बड़ा सा आकार ।।
भौरों का गुंजार,"आनंद"का इजहार।
दुनिया में हो,अपने देश का जयकार।।
-------देवानंद साहा "आनंद अमरपुरी"
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें