देवानंद साहा"आनंदअमरपुरी"

.............गम के कई रंग.............


गम के  कई रंग होते  हैं  जमाने में।
परेशानी भी संग होते हैं  जमाने में।


जब अपनों की नज़र बिगड़ जाती;
रफ़ाक़त  कम  होते  हैं  जमाने  में।


बारहाँ  ऐसे   इल्ज़ाम  जड़े   जाते;
अदावत  संग  होते   हैं  जमाने  में।


अच्छे कर्मों के  हिसाब नहीं रखते ;
बुरे अंज़ाम संग  होते हैं  जमाने में।


हर तरफ जब एहसानफरामोश हो;
ख़ुदा  ही  संग होते  हैं  जमाने  में ।


बुरी आदत से,बाज़ नही आनेवाले;
खुद से  ही  तंग होते  हैं जमाने  में।


ज़ुस्तज़ु हो जब मन में"आनंद"की ;
हमदर्द ही  संग  होते हैं  जमाने में।


-----देवानंद साहा"आनंदअमरपुरी"


 


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