नारी दिवस 8मार्च के उपलक्ष्य पर
विषय- "नारी"
शीर्षक-"नारी तू महान है"
नारी तू महान है,
दोनों कुल की शान है ।
नारी तू नर की पहचान है,
नारी तू घर की वरदान है ।
तू चाहे तो घरती को जन्नत कर दे,
तू चाहे तो घर को स्वर्ग बना दे ।
तू चाहे तो दुनिया बदल सकती है,
तू चाहे तो नई सृष्टि रच सकती है ।
नारी तू सहन शक्ति की मूरत है,
नारी तू त्याग तपस्या की सूरत है ।
नारी तू समदर्शी हो,
नारी तू भविष्यदर्शी हो ।
कदम पड़ते जहाँ-जहाँ तेरे,
वो तीरथ हो जाते शाम सवेरे।
तुम गंगा हो तुम यमुना हो,
कृष्णा, कावेरी,ताप्ती,शिप्रा और नर्मदा हो।
दुनिया के लिए तुम जरूरी हो,
पर पुरुष बिन तुम सदा अधूरी हो।
"दीनेश"आज तेरी शत-शत वंदना गाये,
नारी की महिमा सारे जग को बताये ।
दिनेश चंद्र प्रसाद "दिनेश" कलकत्ता
"काव्य रंगोली परिवार से देश-विदेश के कलमकार जुड़े हुए हैं जो अपनी स्वयं की लिखी हुई रचनाओं में कविता/कहानी/दोहा/छन्द आदि को व्हाट्स ऐप और अन्य सोशल साइट्स के माध्यम से प्रकाशन हेतु प्रेषित करते हैं। उन कलमकारों के द्वारा भेजी गयी रचनाएं काव्य रंगोली के पोर्टल/वेब पेज पर प्रकाशित की जाती हैं उससे सम्बन्धित किसी भी प्रकार का कोई विवाद होता है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी उस कलमकार की होगी। जिससे काव्य रंगोली परिवार/एडमिन का किसी भी प्रकार से कोई लेना-देना नहीं है न कभी होगा।" सादर धन्यवाद।
दिनेश चंद्र प्रसाद "दिनेश" कलकत्ता
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