डॉ मनोज श्रीवास्तव (विद्यावाचस्पति)

27 मार्च 2020 लखनऊ
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खुद से खुद को ही मिलने का अवसर यह पहली बार मिला


लॉक डाउन ने  मौका ये दिया जीवन को नया उपहार मिला
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जीवन की कलम सच की स्याही कुछ हर्फ उभरते आते हैं


और नए फूल खिल जाते हैं जिनको ऐसा गुलजार मिला
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कुछ लोग ढूढते हैं कमियां बस ये न मिला बस वो न मिला


हम खुश हैं जिस भी हाल में हैं सुंदर है जो संसार मिला


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कविता लिखना कविता पढ़ना कविता का जीवन जी लेना


हम सोच नहीं पाए थे कभी हमको अच्छा किरदार मिला


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जब नाम जमाना लिख देगाा कविता के कुछ दीवानों का


कविताएं बताएंगी जग को उनको जो अनोखा प्यार मिला


 


डॉ मनोज श्रीवास्तव (विद्यावाचस्पति)


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