डॉ राजीव पाण्डेय  गाजियाबाद

*वर्तमान परिस्थितियों के एकादश दोहे* 


घर में बैठे अरु लिखें,कविताएं दो चार।
समय कटेगा प्यार से,बचे सकल संसार।(1)


बिना सुगर के ही पिये, हम कितनी भी चाय।
कविता में देते   रहें ,मीठी - मीठी राय। (2)


सुबह शाम योगा करें,दिन में देखें न्यूज।
बेमतलब की बात में,ना होवें कन्फ्यूज।(3)


हम बिल्कुल भी ना  छुएं, ताला कुंडी द्वार।
धोखे से यदि छू गए , धुलें  हाथ हर बार।(4)


इज्जत की अब बात है,बचे आँख मुँह नाक।
देव स्वरूपा मानकर,  इनको  रखना पाक।(5)


जीवन भर पिसते रहे ,  करते- करते काम।
मुश्किल से है अब मिला,इक्कीस दिन विश्राम।(6)


कठिन दिनों में हम करें,सृजन भरे कुछ काम।
जो सदियों तक दे सके  ,जग में अपना नाम।(7)


नव दुर्गा में हो सकें ,सेवा के  कुछ काम।
मानो संगम में उतर, कर लिए चारों धाम।(8)


घर मानें हिम कन्दरा  ,जहाँ  लगालें ध्यान।
मिली ऊर्जित शक्ति से,तोड़ें रिपु अभिमान।(9)


कर एकान्तिक साधना ,  होकर  सबसे   दूर।
फिर खुलके जीवन जियें,खुशियों से भरपूर।(10)


बाहर   जाने की  नहीं ,चले  भ्रात तरकीब।
घर केआँगन में जियें,खिलकर ज्यों राजीव।(11)
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 *डॉ राजीव पाण्डेय* 
       गाजियाबाद


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