डॉ सरोज गुप्ता सागर (म प्र)

होली की हिलोर, हिलग गयी हृदय में। दिल्ली के दंगल ने दिल दहला दिया।
*सत्ताकेंद्रों केअधिपतियों ने ,बड़े बड़े बोलों, औ कटु उद्गारों से । 
योगक्षेम विनष्ट कर , जन-मानस में अराजकता का लावा बिखरा दिया।
होली की हिलोर, हिलग गयी हृदय में। दिल्ली के दंगल ने दिल दहला दिया।
*हिन्दू मुसलमान,जन-समाज को भ्रमित कर ,मानवता के अरमानों को पथभ्रष्ट कर दिया ।
बौरायेआम्र विपिन, सौरभ सने उपवन,कोयल की अलाप को अनसुना कर दिया।
होली की हिलोर, हिलग गयी हृदय में। दिल्ली के दंगल ने दिल दहला दिया।
*जन-धन विभीषिका, खून खराबे के बीच, होली के रंग को बदरंग कर दिया।
किसी की दुकान जली, किसी का मकान जला,मां ने अपना लाल खोया ,प्रियतमा का सिंदूर छिन गया।
होली की हिलोर, हिलग गयी हृदय में। दिल्ली के दंगल ने दिल दहला दिया।
*छायी है बहार ,चहुंओर बासन्तिक छटा ,क्रूर कारनामों ने मौसम के मिजाज को बदल दिया।
समाज और देश में, एकता की बात कैसे करें, पग-पग पर क्रूर कंस, कौरवों ने घेर लिया।
होली की हिलोर, हिलग गयी हृदय में। दिल्ली के दंगल ने दिल दहला दिया।
डॉ सरोज गुप्ता सागर (म प्र)


 


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