कात्यायिनी माता
विधा- दोहा
तप कर कात्यायन ऋषी,
प्राप्त हुई बाला।।
सुंदर कन्या प्राप्त कर,
स्नेह सहित पाला।।
छठी शक्ति के रूप में,
जाने मां का रूप।
चहूं दिशि जयकार कर,
देखे सकल स्वरूप।।
ऋषि कन्या विद्या निपुण,
युद्ध कला परिपूर्ण।
हरित परिधानों में थी,
सजी हुई संपूर्ण।।
सिंहासीना गरजती,
कर मधुकैटभ नाश।
भक्तन को आशीष दे,
दुर्जन करे विनाश।।
स्वर्णाभा दिव्या रुपा,
चार भुजा धारी।
अभयमुद्रा एक में,
द्वितीय खड्ग धारी।।
तृतीय हस्त वरदायिनी,
चौथे कमलधरे।
चतुर्भुजा शुभ सोहनी,
सिंह सवार करे ।।
महिषासुर वध करे जो,
भक्तों की सुधि लेत।
माँ करुण वात्सल्यमयी,
सारा दुःख हर लेत।।
माँ के चरणो में करूं,
बारम्बार प्रणाम ।
जीवन सुख वैभव मिले,
बनें सफल सब काम।।
डॉ० धाराबल्लभ पांडेय'आलोक'
अल्मोड़ा, उत्तराखंड।
मो० 9410700432
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