डॉ० रामबली मिश्र हरिहरपुरी

"मोहब्बत"


करता हूँ मैं मोहब्बत कहता नहीं किसी से,
दुनिया नहीं समझती कहता नहीं इसी से।


ये दिल की बात सुन्दर दुनिया को क्या पता है,
यह राज-ए-मोहब्बत मोहक नहीं खता है।


पुष्पक विमान बनकर दिल घूमता रहता,
यह सर्व को बिठाता फिर भी ये रिक्त रहता।


इसमें भरा मोहब्बत भरपूर गमकता,
सबके लिए बना है सबके लिए उमड़ता।


यह चीज व्यक्तिगत है पर दे रहे जगत को,
सीने में रखकर इसको जाता हूँ मैं स्वगत को।


जो चाहे लेले इसको मैँ दान कर रहा हूँ,
सारे जगत का हरदम सम्मान कर रहा हूँ।


करबद्ध है निवेदन प्रतिकारना न इसको,
सन्देह है अगर तो स्वीकारना न इसको।


ईश्वर का दिया तोहफा है दान के लिए,
सिखला रहा मनुष्यता यह ज्ञान के लिए।


शुल्क इसका कुछ नहीं निःशुल्क वितरण हेतु यह,
अनमोल मेरे प्यार का अभिज्ञान होना चाहिए।


मैँ निरंकुश आत्ममोही दूत बनकर हूँ खड़ा,
आजाद भारत वर्ष को परिधान सुन्दर चाहिए।


मैँ भरत हूँ भारती का पूत प्रेमी मोहमय,
हर किसी को सत्य सात्विक प्रीति पाना चाहिए।


नमस्ते हरिहरपुर से---डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी
9838453801


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