डॉ० रामबली मिश्र हरिहरपुरी

"कोरोना"


हल्के में मत लीजिये परम भयंकर जन्तु।
हत्यारा यह मनुज का कोरोना विष-तंतु।।


लॉकडाउन को समझ यह  कवच  सुरक्षा-जाल।
मानव जीवन के लिये यही सुरक्षा चाल।।


एक कोरोना से हुए कई कोरोना आज।
हर मानव संदिग्ध है देख कोरोना राज।।


खतरे में है पड़ गया मानव का अस्तित्व।
कोरोनामय लग रहा हर कोई व्यक्तित्व।।


धड़कन बढ़ती जा रही मन होता बेहाल।
होता अब महसुस यह कोरोना है काल।।


यह कोरोना काल है अथवा है भूचाल।
पहुँच रहा क्रमशः मनुज सतत काल के गाल।।


नहीं समझ में आ रहा क्या है इसका काट।
दहशत में सारे मनुज देख काल की खाट।।


कोरोना की मार को झेल रहे मजदूर।
लाले पड़े हैं अन्न के मन मलीन सुख चूर।।


नमस्ते हरिहरपुर से---


-डॉ० रामबली मिश्र हरिहरपुरी
9838453801


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...