*संकट की घड़ी*
हुई कोरोनामय यह दुनिया,
जीवन पड़ गया ख़तरे में।
सजग नहीं यदि,झट जाओगे-
खूँखार मौत के जबड़े में।।
धरना और प्रदर्शन छोड़ो,
राजनीति से मुख मोड़ो।
प्राण-सुरक्षा,राष्ट्र-सुरक्षा-
पड़ो न आपसी झगड़े में।।
इस विपदा से लड़ो सभी,
मिल जाति-धर्म का भेद तजो।
तजो आपसी राग-द्वेष को-
पड़ो न ज़िद के रगड़े में।।
जीवन-घातक,मारक वायरस,
विश्व को कंपित कर है दिया।
संकल्प-नियंत्रण,संयम-नियमन-
सकेगा रोक दैत्य को तगड़े में।।
दृढसंकल्पित होकर हमको,
इस संकट से लड़ना है।
स्वयं को रखकर स्वच्छ,न पड़ना-
खींच-तान के लफड़े में।।
कर-प्रक्षालन विधिवत करके,
तन-मन स्वच्छ सभी रखना।
उत्तम बूटी-जड़ी मान, पड़ो न-
नीम-हक़ीम के पचड़े में।।
छींको सदा बना के दूरी,
ढक कर मुँह को कपड़े से।
दक्ष चिकित्सक से सलाह ले-
साथ निभाओ दुखड़े में।।
डॉ0हरि नाथ मिश्र
9919446372
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें