डॉ0हरि नाथ मिश्र

*अद्भुत सोच*
दिवस एक का जनता- कर्फ्यू,
अद्भुत सोच निराली है।
नहीं बीमारी कोरोना की-इससे बढ़ने वाली है।।


सब जन मिलकर करें अनुसरण,
रोकें विपदा जो आई है।
दुनिया के हर कोने में यह,
दुखद कहर बरपाई है।
खतरा इसका टल जाता है, बजती जब करताली है।।


घर से नहीं निकलना कुछ दिन,
नित्य सफ़ाई है करना।
घर-आँगन-चौबारा-कपड़ा,
स्वच्छ-साफ-सुथरा रखना।
कीट विषैले मर जाते घर, जब-जब बजती थाली है।।


यही सनातन संस्कृति अपनी,
सदा रक्षिका जीवन की।
योग-ध्यान,पद-कर-प्रक्षालन,
औषधि प्रथम रुग्ण तन की।
होते लुप्त कीटाणु शीघ्र सुन जो ध्वनि शंख निराली है।।


कर उद्घोषित नायक प्रधान ने,
सब जन को है किया सजग।
दिवस एक रह कर निज गृह में,
सकेंगे कर विपदा को विलग।
छुआछूत का रोग भयंकर,होता बहुत बवाली है।।


सकेंगे रोक रोग को कुछ हद,
करके हम सब अनुपालन।
परमावश्यक यही घोषणा,
एकमात्र इसका साधन।
स्वस्थ-स्वच्छ-निर्मल सलाह करती जीवन-रखवाली है।।
                       डॉ0हरि नाथ मिश्र
                        9919446372


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