*लेखनी के यशस्वी पुजारी*
कालिदास की उपमा उत्तम,बाणभट्ट की भाषा,
तुलसी-सूर-कबीर ने गढ़ दी,भक्ति-भाव-परिभाषा।
मीर व ग़ालिब की गज़लों सँग,मीरा के पद सारे-
"प्रेम सार है जीवन का",कह,ऐसी दिए दिलासा।।
बाणभट्ट की.........।।
सूत्र व्याकरण के सब साधे,अपने ऋषिवर पाणिनि,
वाल्मीकि,कवि माघ सकल गुण, पद-लालित्य में दण्डिनि।
कण्व-कणाद-व्यास ऋषि साधक,दे संदेश अनूठा-
ज्ञान-प्रकाश-पुंज कर विगसित,हर ली सकल निराशा।।
बाणभट्ट की.............।।
गुरु बशिष्ठ,ऋषि गौतम-कौशिक,मानव-मूल्य सँवारे,
औषधि-ज्ञानी श्रेष्ठ पतंजलि,रोग-ग्रसित जन तारे।
ऋषि द्वैपायन-पैल-पराशर,कश्यप-धौम्य व वाम-
सबने मिलकर धर्म-कर्म से,जीवन-मूल्य तराशा।।
बाणभट्ट की.............।।
श्रीराम-कृष्ण,महावीर-बुद्ध थे,पुरुष अलौकिक भारी,
महि-अघ-भार दूर करने को,आए जग तन धारी।
करके दलन सभी दानव का,ये महामानव मित्रों-
कर गए ज्योतिर्मय यह जीवन,जला के दीपक आशा।।
बाणभट्ट की...............।।
किए विवेकानंद विखंडित,सकल खेल-पाखंड,
जा विदेश में कर दिए क़ायम, भारत-मान अखंड।
श्रीअरविंदो ने भी करके,दर्शन का उद्घोष-
भ्रमित ज्ञान-पोषित-मन-जन की,दूर भगाया हताशा।।
बाणभट्ट की...............।।
भारतेंदु हरिचंद्र हैं,हिंदी-कवि-कुल के गौरव,
उपन्यास-सम्राट,प्रेम ने दिया,कहानी को इक रव।
आचार्य शुक्ल,आचार्य हजारी,भाषा-मान बढ़ाए-
पंत-प्रसाद-निराला भी हैं,हिंदी-बाग-सुवासा।।
बाणभट्ट की.............।।
यात्रा के साहित्य-पितामह,बहुभाषाविद राहुल,
बौद्ध-धर्म के अध्येता वे,पंडित महा थे काबिल।
सांकृत्यायन राहुल जी भी,ज्ञान-ध्वज फहराए-
ज्ञान-ज्योति-नव दीप जलाकर,दीप्त किए जिज्ञासा।।
बाणभट्ट की............ ।।
गुप्त मैथिली-दिनकर-देवी,महावीर जी ज्ञानी,
सदानंद अज्ञेय प्रणेता-मुक्त छंद-विज्ञानी।
नीरज-बच्चन गीत-विधाता,सब जन को हैं प्यारे-
प्रखर लेखनी श्री मयंक की,अद्भुत वाग-विलासा।।
बाणभट्ट की...............।।
नग़मा निग़ार चलचित्र-जगत के,सबने नाम किया है,
राही-हसरत-कैफ़ी-मजरुह ने,रौशन पटल किया है।
बख़्शी-अख़्तर-कवि प्रसून-अंजान सहित इंदीवर-
साहिर-शकील-गुलज़ार सभी ने,नूतन गीत तलाशा।।
बाणभट्ट की................।।
धन्य धरा यह भारत है,जो जन्म दिया इन लोंगो को,
अध्यात्म-ध्यान,कर्तव्य-ज्ञान का,धर्म सिखाया लोंगो को।
ऋषि-मुनि-ज्ञानी-ध्यानी,सबने मान बढ़ाया माटी का-
"जीवन है अनमोल"तथ्य का,सबने किया खुलासा।।
बाणभट्ट की............।।
डॉ0हरि नाथ मिश्र
9919446372
"काव्य रंगोली परिवार से देश-विदेश के कलमकार जुड़े हुए हैं जो अपनी स्वयं की लिखी हुई रचनाओं में कविता/कहानी/दोहा/छन्द आदि को व्हाट्स ऐप और अन्य सोशल साइट्स के माध्यम से प्रकाशन हेतु प्रेषित करते हैं। उन कलमकारों के द्वारा भेजी गयी रचनाएं काव्य रंगोली के पोर्टल/वेब पेज पर प्रकाशित की जाती हैं उससे सम्बन्धित किसी भी प्रकार का कोई विवाद होता है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी उस कलमकार की होगी। जिससे काव्य रंगोली परिवार/एडमिन का किसी भी प्रकार से कोई लेना-देना नहीं है न कभी होगा।" सादर धन्यवाद।
डॉ0हरि नाथ मिश्र
Featured Post
दयानन्द त्रिपाठी निराला
पहले मन के रावण को मारो....... भले राम ने विजय है पायी, तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम रहे हैं पात्र सभी अब, लगे...
-
सुन आत्मा को ******************* आत्मा की आवाज । कोई सुनता नहीं । इसलिए ही तो , हम मानवता से बहुत दूर ...
-
मुक्तक- देश प्रेम! मात्रा- 30. देश- प्रेम रहता है जिसको, लालच कभी न करता है! सर्व-समाजहित स्वजनोंका, वही बिकास तो करता है! किन्त...
-
नाम - हर्षिता किनिया पिता - श्री पदम सिंह माता - श्रीमती किशोर कंवर गांव - मंडोला जिला - बारां ( राजस्थान ) मो. न.- 9461105351 मेरी कवित...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें