"प्रीति मधुर मादक रस बरसत"
रस बरसत अतिशय मन हरसत
प्रीति मधुर मादक रस बरसत।
रस रस टपकत हिय मन महकत
गम गम गमकत अतिप्रिय हरकत।
बह बह बहक़त सतत चपल मन
सर सर सरकत घुमड़ घुमड़ घन।
फड़ फड़ फड़कत अंग अंग संग संग
दंग दंग होत देखि मन के उमंग गंग।
संग संग नृत्य करत उर संग मन मथ
उभय अभंग होय चढ़त मनज रथ।
करतल वीन बजत मन उर मह
सहज सयन करत कामदेव रति सह।
नमस्ते हरिहरपुर से---
डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी
9838453801
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