डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी

"मनचाहा साथ"


साथ तुम्हारा वैसा ही है,
वेगाने में मनचाहा.,
भाव अलौकिक देख रहा हूँ,
अनजाने में मनचाहा.,
लगत परायापन मिथ्या जिमि,
देख सवेरा मनचाहा.,
मेरे तेरे द्वंद्व भाव से,
मुक्त हुआ अब मनचाहा.,
तोड़ सकल माया वंधन को,
रचें स्वर्ग हम मनचाहा.,
त्याग रहे हो तुम अपना निज,
जैसा मेरा मनचाहा.,
सामूहिक पावन भावों की,
नीर बहे प्रिय मनचाहा.,
प्रीति परस्पर अनुदिन फैले,
अकथ नित्य नव मनचाहा.,
स्नेह रश्मियों से पट जाये,
 यह सारा जग मनचाहा।


नमस्ते हरिहरपुर से--


-डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी
9838453801


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