"मेरा मन-मीत"
अति भावुक मनमीत हमारा,
अति कोमल अति सहज पियारा,
कभी न छेड़ो इसको मित्रों,
मित्रों का है इसे सहारा।
इसको केवल प्यार चाहिये,
प्रिय भावुक संसार चाहिये,
नहीं समझता यह पैसे को,
पावन भाव दुलार चाहिये।
मृदु भावों से सना हुआ है,
मधुर क्रिया से बना हुआ है,
मत दुत्कारो इसको मित्रों,
मादकता में छना हुआ है।
बहुत स्वतंत्र सहज कल्याणी,
अतिशय मोहक मीठी वाणी,
नहीं किसी से याचन करता,
इस धरती का सज्जन प्राणी।
करता नहीं किसी की निन्दा,
हँसमुख मस्ताना है वन्दा,
हाथ जोड़कर मिलता सबसे,
अति मिठास मौन शर्मिन्दा।
नमस्ते हरिहरपुर से---
डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी
9838453801
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