"पवित्र प्यार की पराकाष्ठा"
मन अगर पवित्र है तो स्नान हो गया,
उर में अगर प्यार है तो ध्यान हो गया,
सब के प्रति सद्भावना की नींव हो मजबूत,
सबको अगर चाह लो तो ज्ञान हो गया।
हो इरादा मदद का तो नेक हो तुम्हीं,
दिल में सबके बैठकर अनेक हो तुम्हीं,
लिखा करो तकदीर सबकी प्रीति-स्याह से,
हो अगर ये भाव तो सुलेख तुम्हीं हो।
शुद्ध रखो मन को सदा निर्विवाद बन,
दान कर दो मन को अगर बन जाओ अमन,
वक्रता में क्या रखा है प्रीति -रीति सीख,
सरलता की राह पर करते रहो गमन।
प्यार है अपशव्द नहीं भाव यदि पवित्र है,
सत्व भावभंगिमा से विश्व सारा मित्र है,
तोड़ दो तुम बेड़ियों को वंधनों को,
शुद्ध पावन मधुर-आलय हृत महकता इत्र है।
नमस्ते हरिहरपुर से---
डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी ।
9838453801
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