वीरछन्द आल्हा
अब कोरोना हदस रहा है"
जनसंख्या को स्थिर देख, हदस रहा है आज कोरोना.,
हो गयी उसकी धीमी चाल,वृद्धि रुक रही नालायक की.,
जनता में है शक्ति अपार, इसके आगे रोता विषधर.,
नतमस्तक कोरोना आज, देख एकता जनसंख्या की.,
जनता के कर्फ्यू को देख,लगा कांपने कोरोना है.,
सामाजिक दूरी का भाव, खटक रहा कोरोना को है.,
जनता है कितनी चालाक, नहीं पता है कोरोना को.,
पात-पात पर जनता आज, अगर डाल पर कोरोना है.,
सामाजिक दूरी का अर्थ, नहीं जानता कोरोना है.,
सामाजिक दूरी की शक्ति, के आगे बौना कोरोना.,
दृढ़ इच्छा की शक्ति महान, के आगे मर जाते मरियल.,
डटी रहे जनता इक स्थान, हतप्रभ होगा अब कोरोना.
बहुत एकता में है जान,है समक्ष निर्जीव कोरोना .,
जहाँ खड़ा सहयोगी भाव, कोरोना तहँ मरा पड़ा है।
(आल्हा शैली में प्रस्तुति)
रचनाकार... डॉ0रामबली मिश्र हरिहरपुरी
9838453801
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