"श्री सरस्वती अर्चनामृतम"
आ माँ लेलो गोद में दो मुझको उपहार।
भूखे इस नवजात को दो पय-ज्ञान-आहार।।
दूर न जाना साथ रहो माँ।इस दुधमुंहे का हाथ गहो माँ।।
मैँ अति भूखा-प्यासा बालक।मुझे समझ लायक-नालायक।।
मैँ अनाथ हूँ बिना तुम्हारे।जीऊं कैसे बिना सहारे।
सिर्फ तुम्हारा सदा सहारा।आकर कर मेरा उद्धारा।।
विद्या देकर रोग भगा माँ।बनी योगिनी योग सीखा माँ।।
क ख ग घ हमें सिखाओ।हाथ पकड़कर राह बताओ।।
मैँ अबोध हूँ तुम सद्ज्ञानी।मैं नवजात तुम प्रौढ़ा प्राणी।।
ज्ञान-रहस्य बता हे माता।माँ सरस्वती ज्ञान-विधाता।।
मत छोड़ो माँ हाथ हमारा।दीनबन्धु हे नाथ अधारा।।
निर्मल मन हो शिवमय स्वर हो।वीणापाणी माँ का वर हो।।
तत्वबोधिनी बनकर आओ।परम तत्व-रहस्य बतलाओ।।
तुम अजेय कर मुझे जितेन्द्रा।महा बलवती भागे तन्द्रा।।
युगों-युगों का भूखा-प्यासा।एक तुम्हीं माँ मेरी आशा।।
बहुत काल से तड़पता-रोता आया आज।
करता क्रन्दन करुण हूँ सुन मेरी आवाज।।
नमस्ते हरिहरपुर से---
डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी ।
9838453801
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