"श्री सरस्वती अर्चनामृतम"
सुख-दुःख से ऊपर उठे यह सारा संसार।
श्री माता की कृपा से बने विश्व परिवार।।
बरसे कृपा सभी के ऊपर।सब बन जायें अतीव सुन्दर।।
माँ!करना मूल्यों की वर्षा।धरती बने स्वर्गमय सहसा।।
मरु प्रदेश को हरित बनाओ।बनी अन्नपूर्णा घर आओ।।
दुःख-दरिद्रता सब मिट जाये।जंगल में मंगल आ जाये।।
मानव मन में सात्विकता हो।निर्मलता नित नैतिकता हो।।
घर-आँगन में वैभव रेखा।दिखे सर्व-सर्वत्र सुलेखा।।
तुलसीदल का भोग लगे अब।निर्दल मन का योग जुटे अब।।
उठें सभी माया से ऊपर।बढ़ जाये विश्वास सभी पर।।
चलें हम सभी वंधन पारा।मिले हमें संन्यास सहारा।।
कुटी बनायें गंग नहायें।माँ चरणों में शीश नवायें।।
साफ बनें प्रिय सत्य बनें हम।माँ चरणों में मन हो हरदम।।
करो दया हे ज्ञानदायिनी।हंसवाहिनी महा स्वामिनी।।
वीणा-पुस्तक बनकर आओ।माँ महिमा के गीत सुनाओ।।
बनी माधुरी दिव्य धन दो विद्या का दान।
माँ कल्याणी शारदे!दो शिवता का ज्ञान।।
नमस्ते हरिहरपुर से---
डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी ।
9838453801
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