"श्री सरस्वती अर्चनामृतम"
प्रीति मनोहर रूपसी परम दिव्य अहसास।
माँ अमृता शारदा का हो नित आभास।।
माँ का आशीर्वाद चाहिए।जीवन अब आवाद चाहिए।।
माँ बिन जीवन सदा अधूरा।माँ ही करतीं सबकुछ पूरा।।
जबजब विपदा आती रहती।प्रेम-सांत्वना देती रहतीं।।
भक्त हेतु माँ सदा समर्पित।प्रीति-दान हेतु संकल्पित।।
स्वयं निराश्रित आश्रयदायी।सहज स्नेह भाव सुखदायी।।
भजन करो बस केवल माँ का।बातें सुनना सिर्फ उन्हीं का।।
माँ केवल सर्वोत्तम सत्ता।बिन आज्ञा हिलता नहिं पत्ता।।
ज्ञान प्रेम भक्ति की गरिमा।गाते रहें तुम्हारी महिमा।।
बैठ हंस पर आ जाओ माँ।पुस्तक बनकर छा जाओ माँ।।
करो कृपा हे करुणा माता।हे सुखदाता मातृ शारदा।।
कृपाप्रदाता माँ करें हम सबका कल्याण।
यश-वरदानी बन हमें दें यश का वरदान।।
नमस्ते हरिहरपुर से---डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी।
9838453801
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें