"मानव खुद बन गया कोरोना"
मानवता से होअति दूर ,मानव खुद बन गया कोरोना.,
मन में रखता घृणा व द्वेष, प्रेम नाम की चीज नहीं है,.
बना हुआ है तिकड़मबाज, क्षद्मवेश में घूम रहा है.,
सदा लूटने को तैयार, खोज करता है शिकार को.,
बना हुआ जहरीला जन्तु, कैसे प्राण बचे हे भगवन.,
करता रहता अत्याचार, कमजोरों पर टूट पड़त है,.
कोरोना दानव की जाति, ललकारो इस दनुज वंश को.,
करो प्रतिज्ञा पावन आज, छोड़ेंगे हम नहीं कोरोना.,
करना है संगठित प्रयास, डालो भून कोरोना-दानव.,
मन में रखना है विश्वास, हम जीतेंगे निश्चित समझो.,
शुचिता का रखना है ख्याल, ललकारेंगे दुर्गा बनकर.,
कभी न होना है भयभीत,दानव-कोरोना है मैला.,
साफ-स्वच्छता का रख ख्याल, मर जायेगा निपट दरिंदा.,
यज्ञ-हवन-पूजन का काम, अब तो कर प्रारंभ मित्रगण.,
मत चूको मत करो विलंब, दानव-कोरोना का वध कर।
(आल्हा शैली में प्रस्तुति)
नमस्ते हरिहरपुर से---
डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी ।
9838453801
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