डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी

"भावुकता में कवि बैठा है"


भावों में कविता छिपी भावों में भगवान।
भावरहित पाषाण दिल में केवल शैतान।।


भावों के भण्डार में है कविता का देश।
अति मृदु कोमल भाव में कवि का हृदय-प्रदेश।।


सारस्वत साधक वही जिसके मधुर स्वभाव।
विश्व फलक पर कवि बना डालत स्वयं प्रभाव।।


कविता सुनना कठिन है लिखना बहुत सुदूर।
सत शिव सुन्दर भाव में कविता बहु भरपूर।।


कवि ही मानव योनि का सर्वोत्तम इंसान।
घूमा करता अहर्निश भर-भर भाव-उड़ान।।


सदा यान में तिष्ठ कर शिव शुभ भाव प्रसंग।
कभी देख चिन्तन करत लिखत लेखनी संग।।


मनन करत मंथन करत सोचत बारंबार।
गढ़त सतत निरखत सतत कविता की बाजार।।


भावों की बाजार में कविताएँ अनमोल।
क्रेता का दिल धड़कता सुन कविता के बोल।।


भाव नहीं कविता नहीं यह नहिं पूँजीवाद।
कलुषित दूषित वॄत्ति से कविता करत विवाद।।


पशु प्रवृत्ति की मारिका कविता दिव्य महान।
कविता को जो पूजता वही बड़ा धनवान।।


भावों से कविता बहत बन जाती है गंग।
 बनी आयुषी कर रही मानव मन को चंग।।


नहिं दुर्जन के हृदय में है कविता का वास।
महामानवों के दिलों में कवि का आवास।।


नमस्ते हरिहरपुर से---डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी ।
9838453801


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