डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी

" कहना मेरा  मान लो प्यारे"


है मन में यदि नहीं मलाल, कहना मेरा मान लो प्यारे.,
 करते रहना नित संवाद, कहना मेरा मान लो प्यारे.,
 हो आपस में प्रेमालाप, कहना मेरा मान लो प्यारे.,
दो दिन का है केवल खेल, उड़ जाना है बना परिन्दा.,
होगी नहीं कभी भी बात, प्राण पखेरू भग जायेगा.,
प्रति पल जाने को तैयार, कुछ भी नहीं भरोसा इसका.,
यही तथ्य है अंतिम सत्य, कहना मेरा मान लो प्यारे.,
जब जायेगा चोला छूट,तरसोगे मिलने की खातिर.,
महा शून्य में इसकी दृष्टि, लगी हुई है नित्य निरन्तर.,
चाहो तो मिल लो क्षण मात्र, क्षणभंगुर यह अघ की काया.,
देख आत्मा को साक्षात, पिंजड़े में वन्द पड़ा है.,
तुझसे मिलने को बेताब, कहना मेरा मान लो प्यारे.,
नहिं मानोगे मेरी बात, पछताओगे आजीवन तुम.,
सोच -समझकर सुनो पुकार,दिल दरिया में प्रेम अंश यदि.,
नहीं मानना मेरी बात,दिल दरिया यदि सुख चुकी है.,
फिर भी आ सकते हो पास, बना अनमना दिलपत्थर हो.,
शव बन लेटा है यह देह, देही की ही करो विदाई.,
भले नेत्र में हो नहीं वारि, फिर भी कहना मान लो प्यारे.,
हठधर्मी बनना अन्याय,कहना मेरा मान लो प्यारे।


(आल्हा शैली में प्रस्तुत रचना)


रचनाकार:डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी ।


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