डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी

"श्री सरस्वती वंदना"


माँ सरस्वती की कृपा बरसे नित्य अनन्त।
दिव्य भावमय बन बहें माताश्री जिमि सन्त।।


मायामुक्त सहज गरिमा हो।नित्यानन्द परम मगिमा हो।।
लिखने-पढ़ने की प्रेरक हो।क्रियाशील तुम उत्प्रेरक हो।।
कृपदायिनी वृष्टि नित्य कर।सुन्दर सात्विक सृष्टि रचा कर।।
बनो सदा खुशियों का सागर।हे दयालु माँ हे करुणाकर।।
भक्तहृदय की तुम शोभा हो।सकल संपदा की आभा हो।।
ज्ञान समझ चिन्तन पावन हो।विज्ञानी ध्यानी भावन हो।।
सत्यम शिवम सुन्दरम छवि हो।परम प्रकाशमान प्रिय रवि हो।।
गायन विद्या की दाता हो।शुभ गीतामय प्रिय माता हो।।
स्वच्छ दिव्य मन कर दो माता।हंसवाहिनी हे शिव ज्ञाता।।
बने मनुज तेरा ही सेवक। नैया पार करो हे खेवक।।


माँ सरस्वती शारदा का हो नित यशगान।
अद्वितीय माँ ज्ञानदा का ही हो नित ध्यान।।


रचनाकार:डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी ।


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