"प्रीति अमृता"
तुम प्रयाग तीर्थ संगम पर
पर्व महोत्सव शिव जंगमधर
अति सहायिका दुःख-विपदा में
बनी प्रीतिका मानव मन पर।
अमृत ही अस्तित्व तुम्हारा
तुझपर आश्रित यह जग सारा
बनी विनायक षोडश गणपति
विघ्न विनाशक प्रेम अपारा।
मातृ शक्ति सम्पन्न सम्पदा
हर लेती दुःखियों की विपदा
मुस्कानें अमृत औषधिमय
हो तेरा यशगान सर्वदा।
तुम जिसपर खुश हो जाती हो
नेह सदा तुम बरसाती हो
जग में वही भाग्यशाली है
जिसको देख मचल जाती हो।
सर्वरूपिणी सर्वगुणी हो
वीरांगना सहज सगुणी हो
नृत्य करत नित पावन उर में
प्रीति अमृता मधुवन सी हो।
हृदय हिलोरें प्रेम सुधा हो
अति रमणीक रम्य वसुधा हो
आ बैठो संगीत गीत बन
सुन्दर स्वर लहरी सुखदा हो।
नमस्ते हरिहरपुर से---डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी
9838453801
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