*अभिमान।।काठ की हांड़ी समान।*
*।।।।।।।।।।।।।।मुक्तक।।।।।।।।।*
मत डूबे रहोअभिमान में कि
सबकी बारी आती है।
नकली कलई अहम की तो
यूँ ही उतर जाती है।।
चूर चूर हो जाता है अहंकार
वक़्त की उल्टी मार से।
काठ की हांड़ी फिर आग
चढ़ नहीं पाती है ।।
*रचयिता।।।।एस के कपूर श्री*
*हंस।।।।।।बरेली।।।।।।।।।।।*
मोब 9897071046।।।।।।।।।
8218685464।।।।।।।।।।।।।।।
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