*कॅरोना से बचो और बचाओ*
*क्योंकि बचाव ही जिन्दगी है।*
*कविता।छन्द मुक्त(तुंकान्त)*
बाहर जायोगे तो जिंदगी
भी चली जायेगी।
फिर तेरी पहुंच के बाहर
निकली आयेगी।।
अंदर जीवन पर बाहर
तो मौत खड़ी है।
फिर जिंदगी दुबारा तुझे
नहीं मिल पायेगी।।
एक ही टास्क हो तुम्हारा
मास्क का लो सहारा।
खाँसी , सांस, बुखार के
लक्षण करें बेसहारा।।
सामाजिक दूरी में ही
छिपी है जिन्दगी।
धोते रहो हाथ हर बार
फिर तुम दुबारा।।
यह वैश्विक महामारी है
बहुत दुराचारी है।
एक वायरस से दुनिया
की लाचारी है।।
साफ सफाई अच्छा
भोजन नींद हैं मंत्र।
संकल्प संयम से ही
भागेगी बीमारी है।।
लॉक डाउन, कर्फ्यू को
को मानें पूरा देश।
ये अजब बीमारी आई
लेकर दानव भेष।।
घर के बाहर खींच लो
एक लक्ष्मण रेखा।
पार जो करोगे उसको
रहे न जीवन शेष।।
इक्कीस दिन के विराम
से टूटेगा चक्र।
स्तिथि होगी नियंत्रण में
न होगी वक्र।।
केवल एक ही उपाय है
बचाने मानवता को।
अन्यथा अवशेष में मिलेगा
हर तर्क वितर्क।।
*रचयिता।एस के कपूर श्री*
*हंस ।बरेली।*
मो 9897071046
8218685464
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