एस के कपूर श्री* *हंस बरेली

*सब ही एक जैसे इन्सान हैं।*
*।।।।।।।।।मुक्तक।।।।।।।।।*


सब की एक ही  जमीन
एक  सा आसमान है।


रगो में बहता  लाल  लहू
एक  जैसा  इंसान  है।।


जब देखेंगे प्रेम की नज़र
से हर इक   इंसान को।


फिर सब में  दिखाई  देगा   
ऊपर वाला भगवान है।।


*रचयिता।।।।एस के कपूर श्री*
*हंस।।।।।।।बरेली।।।।।।।।।।*


मोब 9897071046।।।।।।।
8218685464।।।।।।।।।।।।


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...