*कम न हो महक रिश्तों की।*
*मुक्तक।*
रिश्ते चंदन से बने चाहे
टुकड़े रहे हज़ार।
महक कम न हो इनकी
ये भरी रहे घर द्वार।।
दिल से दिल का लगाव
हो मन से मन का।
हो दुःख सुख कैसा भी
दुआयों का रहे अम्बार।।
*रचयिता।एस के कपूर श्री*
*हंस।बरेली।*
मो 9897071046
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