*खामोशी की अपनी एक*
*जुबां होती है।मुक्तक।।।*
खामोशी की अपनी एक
अलग तहजीब होती है।
संस्कारों की ही यह भी
एक तजवीज़ होती है।।
बनती एक तस्वीर उनकी
हर दिल के आईने में।
बात उनकी फिर बन जाती
हर दिल अज़ीज़ होती है।।
*रचयिता। एस के कपूर श्री*
*हंस।बरेली।*
मो 9897071046
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