*नारी,,,,,शक्ति,त्याग,ममता का*
*प्रतिबिंब।।।।मुक्तक माला*
1,,,,
चार दीवारी के भीतर वह
एक संसार बसाती है।
बच्चों को संस्कार का हर
घूँट पिलाती है।।
नारी होती त्याग की मूरत
ईश्वर का प्रतिरूप।
एक वीरान मकां को जैसे
घर बार बनाती है।।
2,,,,,,,,,
माँ दही कटोरी से शगुन
सर पर आशीर्वाद है।
बिना कहे समझ ले हाल
दिल की फरियाद है।।
रोटी का गर्म निवाला अमृत
का प्याला हो जैसे।
धूप में शीतल छाया हर
हिचकी पर याद है।।
3,,,,,,,,
उसे स्वछंद उन्मुक्त सारा
आसमाँ चाहिए।
उठने बढ़ने को एक खुला
मकां चाहिए।।
नहीं चाहिए बेटियों को अब
पाँव में बेड़ियां।
नारी है सबला उसे अपना
पूरा जहाँ चाहिए।।
*रचयिता।एस के कपूर श्री हंस*
*बरेली*
मो 9897071046
8218685464
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