"इश्क दिखाना नही आता"
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वो कहती है...
हमे इश्क करना नही आता
अगर कही मैं रुठ जाऊँ
तो उसे मनाना नही आता
मेरी पसंद - नापसन्द
उसे कुछ नही पता
मेरी खमोशी की अल्फाज
वो समझ नही पाता
लाख सजलूँ-सवरलूँ
पर मेरी तारीफ में
एक शब्द भी नही कहता
ये कैसा सितमगर बालम है
जो मेरी भावना को समझ नही पाता
कैसे समझायें यारो उसे
उसकी हर अदा पे प्यार आता है
इश्क करना भी आता है
इश्क जताना भी आता है
बस फर्क इतना है
हमे औरों की तरह दिखना नही आता ।।
गनेश रॉय "रावण"
भगवानपाली,मस्तूरी, बिलासपुर छत्तीसगढ़
9772727002
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