गनेश रॉय "रावण" भगवानपाली,मस्तूरी, बिलासपुर, छत्तीसगढ़

"कवि हूँ"
""""""""""""
कवि हूँ...
मैं कवि हूँ
बिना प्रकाश के रवि हूँ
कभी धूप को छाँव लिखूं
कभी छाँव को धूप
हर शब्दो को खुद से तोड़ा हूँ
जैसे खुद में टूटा हूँ
कवि हूँ...
मैं कवि हूँ
बिना प्रकाश के रवि हूँ


कभी गम में हँसता हूँ
तो कभी गम में रोता हूँ
हर हाल में जीना सीखा हूँ
कभी मझधार ......
तो कभी पतवार में खुद को पाता हूँ
कवि हूँ...
मैं कवि हूँ
बिना प्रकाश के रवि हूँ


चलता हूँ... थकता हूँ
गिरता हूँ...सम्भलता हूँ
पाँव तले जमीं नही है.....
फिर भी जमीं बनाये जाता हूँ
कवि हूँ...
मैं कवि हूँ
बिना प्रकाश के रवि हूँ ।।


गनेश रॉय "रावण"
भगवानपाली,मस्तूरी, बिलासपुर, छत्तीसगढ़
9772727002
©®


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...