(विश्व नारी दिवस पर महलों को समर्पित )
ग़ज़ल (हिंदी)
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नारी नर से सदा बड़ी है ।
गाथा जिसकी भरी पड़ी है ।
जब भी मौका मिला उसे वो ,
हर मौके पर खूब लड़ी है ।
नर को रखा कोख में जिसने,
नारायण की एक कड़ी है ।
धरती पर आदम को लायी ,
गौरा शंकर साथ खड़ी है ।
घड़ा पांच रुपये में मिलता ,
लाख टके की मिले घड़ी है ।
तुलना करना काम मूर्ख का ,
शब्दों की बस कथा जड़ी है ।
भाव उभर जो भी मन आया,
हलधर" जोड़ी छंद लड़ी है ।
हलधर -9897346173
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