हलधर

ग़ज़ल (हिंदी) ( वायरस)
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संक्रमण का आक्रमण दमदार होता जा रहा है ।
वायरस यह विश्व की सरकार होता जा होता है ।


लग रहा था आदमी ही सृष्टि का श्रृंगार होगा ,
किंतु जौविक युद्ध का अभिसार होता जा रहा है ।


आदमी जो खा रहा है भोग में कीड़े मकोड़े ,
इसलिए ही रोग का अधिकार होता जा रहा है ।


योग की ताकत दिखाकर मौत को हमने हराया ,
क्यों हमारा ज्ञान यह बेकार होता जा रहा है ।


आदमियत ताक पर कमजोर अंतस हो गया है ,
साधनों में लीन अब व्यवहार होता जा रहा है ।


लोक मंगल के लिए विज्ञान के रथ पर चढ़े थे ,
ज्ञान यह अब आणविक हथियार होता जा रहा है ।


खोजने को चल पड़े हम अस्त्र अब तो वायरस में ,
कृत्य यह  संघार  का  उपहार होता जा रहा है ।


चीन अमरीका भले आरोप आपस में लगाएं ,
ध्येय जन कल्याण का निस्सार होता जा रहा है ।


साधना गिरवी पड़ी है साधनों की कोठरी में ,
विश्व कोरोना समुख लाचार होता जा रहा है ।


यदि सभी का साथ हो तो रोक पाएं वायरस को ,
मंत्र "हलधर"रोग का उपचार होता जा रहा है ।


हलधर -9897346173


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