हलधर

गीत - महामारी( रोकथाम)
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(22मार्च एक दिन राष्ट्र के नाम)
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लड़  रही  इस रोग से  दुनियां थकी है ।
विश्व भर की आश भारत पर टिकी है ।।


रोम इटली चीन भी तो लुट चुके हैं ।
पक्षियों के घोंसले तक मिट चुके हैं ।
देख लो क्या हाल है ईरान का अब ,
होंसले अमरीकियों के घट चुके हैं ।।


आप खुद संयम रखें बाहर न जायें ।
आश पर विश्वास की चादर बिछी है ।।1


मानवी गति और विधियां मंद होवें ।
आपसी मिलने की रश्में बंद होवें ।
बिन दिखे ही डस रहा ये नाग सबको ,
युद्ध जैसे अब कड़े परबन्ध होवें  ।।


सावधानी से रहे तो जीत पक्की ।
सभ्यता इस विश्व की हमसे सिंची है ।।2


मौत से अब ठन गई  सीधी लड़ाई ।
बंदिशें खुद पर रखो कुछ रोज भाई ।
यज्ञ में समिधा सरीखा दान है यह ,
यदि बचाना बाप बूढ़ा और माई ।।


अनगिनत लाशें बजुर्गों की जली है ।
मौत की यह चाल भारत आ रुकी है ।।3


ग्रीष्म की भीषण तपिश से ये मरेगा ।
सूर्य की किरणों का यह पानी भरेगा ।
आग ज़ब निकले दिवाकर रश्मियों से ,
रोग  कोरोना  हमारा  क्या  करेगा ।।


देश के प्रधान का आव्हान "हलधर"।
छंद नक्काशी नहीं कविता लिखी है ।।4


हलधर -9897346173


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