हलधर

कविता - तैयारीअभी अधूरी है 
--------------------------------------
लिखना मेरी मजबूरी है , 
सरकारी ध्यान जरुरी है ।
कोरोना से लड़ने वाली  , 
तैयारी अभी अधूरी है ।।


बच्चे बापू से रूठे हैं  , 
अब काम काज सब छूटे हैं  ।
अम्मा से पूछ रहे हैं वो  , 
क्यों  भाग्य हमारे  फूटे हैं ।
इस कोरोना ने क्यों अम्मा , 
छीनी तेरी मजदूरी है ।।
 कोरोना से लड़ने वाली, 
तैयारी अभी अधूरी है ।।1


नेता जी ताली बजा रहे , 
हँस हँस के थाली बजा रहे ।
आटा व दाल हुए महंगे  , 
व्यापारी हमको नचा रहे ।
भूखों की अंतड़ियों से क्यों ,
रोटी की इतनी दूरी है ।।
कोरोना से लड़ने वाली ,
 तैयारी अभी अधूरी है ।।2


 विज्ञापन में बजते गाने ,
 नर्सों पे मास्क न दस्ताने ।
है सुविधा हीन चिकित्सक भी ,
रोते बिन साधन के थाने।
सच्चा दो दिन से प्यासा है , 
झूंठे के पास अँगूरी है ।।
कोरोना से लड़ने वाली , 
तैयारी अभी अधूरी है ।।3


क्यों निजी चिकित्सक सोए हैं ,
 जो सरकारों ने बोए हैं ।
इनकी भी भागेदारी हो ,
 किस गफलत  में वो खोए हैं।
संयम से जीतेंगे "हलधर", 
सच्चा एलान जम्हूरी  है ।।


 कोरोना से लड़ने वाली ,
 तैयारी अभी अधूरी है ।।4


हलधर -9897346173


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...