मुक्तक -आजादी और चरखा
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तलवारों पर गर्दन वारीं ,भालों से वक्ष अड़ाये थे ।
नाखूनों से पर्वत काटे , लोहे के चने चवाये थे ।।
कुछ लोग मानते हैं ऐसा आजादी चरखे से आयी ,
फिर क्यों लाखों माँ बहनों ने अपने शृंगार चढ़ाये थे ।।
हलधर -9897346173
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