पत्नी की निगाह मुझ टिकी थी ,
एकदम टकटकी लगी थी ,
सोच रही थी कहीं नजर तो नहीं लगी ,
सड़क पर कोई राधा तो नहीं खड़ी ,
मैं भी उसे देखकर हैरान हो गया ,
उसने जैसे ही मुझे देखा ही था ,
और मैंने उसे देखा पैरों तले जमीन खिसक गई ,
वैसे ही मेरी होली फीकी पड़ गई ,
कैलाश दुबे
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें