कैलाश , दुबे ,

मुझे पी लैने दो जी भरकर बो गम आज भी है ,


जितनों ने ढाये हैं मुझपर सितम मेरे साथ आज भी है ,


खुलकर आते नहीं हो सामने तो क्या हुआ ,


बार करने को खंजर उनके पास आज भी है ,



कैलाश , दुबे ,


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