कैलाश सोनी उर्फ सोनू कामा भरतपुर राजस्थान 

चीख रही दीवारें सारी रोता कोना-कोना है
हाहाकार मचा धरा पर हे प्रभु क्या होना है
सन्नाटा सा पसर गया है गली मोहल्ला सड़कों पर
क्या अब भी विश्वास नहीं है धर्म ग्रंथ के पन्नों पर
अहिंसा परम धर्म का नारा वेदों की सच्ची वाणी है
पर जल्लादों की करनी ऐसी खुद की रची कहानी है
इंसा की करतूत देख कर दानव भी हैरान हुए
नोचने वाले इस कुदरत को सबसे बड़ी शैतान हुए
 मौत कर रही नाच भयंकर  अभी तो तांडव होना है
 मायूस जिंदगी ना हो जाए ये शैतान कोरोना है


चमक उड़ी है चांदी की सोने पर भी काई है
अर्थव्यवस्था  जग की बिगड़ी कैसी आग लगाई है
गरीब बेचारा घर में ढूंढे आना पाई आलों में
बंद पडे हैं लंगर भी अब मंदिर और दीवालों में
मानवता की आवाज उठाओ भर के पूरे जोश में
भूखा ना सो जाए कोई अपने आस पड़ोस में
अभी तूफ़ान शुरू हुआ है खौफ का मंजर बाकी है
साहिल बहुत दूर है सोनू अभी समंदर बाकी है
पुलिस डॉक्टर हेल्पर दिल में इनको हमें संजोना है
मायूस जिंदगी ना हो जाए यह शैतान कोरोना है


संकट में जो आगे आता देशभक्त कहलाता है
भला देश का जिसमें हूं होता राग वही वो गाता है
 नजर बंद हो जाओ घर में बाहर भूल के जाओ ना
घर में हो प्रवेश तो पहले  सैनिटाइज करवाओ ना
 उपाय मात्र बचाव है इसका तुमको  ज्ञात कराता हूं
बारम्बार हाथ का धोना तुमको याद कर आता हूं
 हे कुदरत के देव तुम्हारी करें प्रार्थना हम लाचार
शांत करो प्रकोप तुम्हारा रहे निरोगी सब संसार
केवल राम सहारा है अब जो चाहेंगे वो होना है
मायूस जिंदगी ना हो जाए ये शैतान करोना है



आपका बहुत-बहुत धन्यवाद मैं कवि एवं साहित्यकार कैलाश सोनी उर्फ सोनू कामा भरतपुर राजस्थान 


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