दिनांकः ०८.०३.२०२०
वारः रविवार
विधाः दोहा
छन्दः मात्रिक
शीर्षकः नमन नियंता नारियाँ
वर्धापन महिला दिवस , महाशक्ति को आज।
करुणा ममता स्नेहिला , नवजीवन आगाज।।१।।
धीरा वीरा साहसी , प्रतिमानक संघर्ष।
मातु सुता भगिनी वधू , है जीवन निष्कर्ष।।२।।
भावुक नाजुक कोमला , मानक नित संकोच।
नवदुर्गा जगतारिणी , सजग रखे शुभ सोच।।३।।
मनसा वाचा कर्मणा , परसुख जीवन दान।
ममतांचल छाया बनी , कौलिक नित सम्मान।।४।।
पढ़ी लिखी नारी सबल , चढ़े लक्ष्य सोपान।
आज निर्भया नारियाँ , सफला हर अरमान।।५।।
सहज सरल मृदुभाषिणी, अश्रु नैन आगार।
प्रिया खुशी मुस्कान वह , साजन मन उद्गार।।६।।
वामांगी नारायणी , जननी वह संसार।
अन्तर्मन सागर समा , करुण नेह आगार।।७।।
युगधारा जीवन सरित , वक्ष क्षीर बन नीर।
नित संतति को सींचती , पाल पोष हर पीड।।८।।
शान्ति प्रकृति,पर क्रान्ति भी,नित नारी बन धीर।
पर रक्षण निज अस्मिता , महाकाल रणवीर।।९।।
गृहलक्ष्मी रतिरागिनी , निर्मात्री परिवार।
शीला धीरा मानिनी , आराध्या मनुहार।।१०।।
नमन नियंता नारियाँ , रिश्तों का आधार।
निखर रही हर रूप में , बाहर घर परिवार।।११।।
बनी रोशनी जिंदगी , पति हो या सन्तान।
सुता बहन माता प्रिया , करें सभी सम्मान।।१२।।
सुर नर दानव पूजिता, रम्या नित सुखसार।
क्यों दहेज उत्पीड़ना , सहे शक्ति संसार।।१३।।
अद्भुत वह बहुरूपिणी , स्वाभिमान प्रतिमान।
विध्वंसक दानव पतित , दें नारी सम्मान।।१४।।
सज सोलह शृङ्गार तनु , दे साजन उपहार।
नारी माँ ममता प्रिया , नीति रीति अवतार।।१४।।
कवि निकुंज शुभकामना,चलो प्रगति नित राह।
शक्ति सबल निर्भय सफल,पाओ जीवन चाह।।१५।।
कवि✍️डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
रचनाः मौलिक(स्वरचित)
नई दिल्ली
"काव्य रंगोली परिवार से देश-विदेश के कलमकार जुड़े हुए हैं जो अपनी स्वयं की लिखी हुई रचनाओं में कविता/कहानी/दोहा/छन्द आदि को व्हाट्स ऐप और अन्य सोशल साइट्स के माध्यम से प्रकाशन हेतु प्रेषित करते हैं। उन कलमकारों के द्वारा भेजी गयी रचनाएं काव्य रंगोली के पोर्टल/वेब पेज पर प्रकाशित की जाती हैं उससे सम्बन्धित किसी भी प्रकार का कोई विवाद होता है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी उस कलमकार की होगी। जिससे काव्य रंगोली परिवार/एडमिन का किसी भी प्रकार से कोई लेना-देना नहीं है न कभी होगा।" सादर धन्यवाद।
कवि✍️डॉ. राम कुमार झा "निकुंज" रचनाः मौलिक(स्वरचित) नई दिल्ली
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