कवि✍️डॉ. राम कुमार झा "निकुंज" रचनाः मौलिक(स्वरचित) नई दिल्ली

दिनांकः ०८.०३.२०२०
वारः रविवार
विधाः दोहा
छन्दः मात्रिक
शीर्षकः नमन नियंता नारियाँ 
वर्धापन   महिला   दिवस , महाशक्ति  को आज। 
करुणा    ममता    स्नेहिला , नवजीवन आगाज।।१।।
धीरा     वीरा    साहसी , प्रतिमानक        संघर्ष।
मातु   सुता  भगिनी   वधू , है   जीवन   निष्कर्ष।।२।।
भावुक   नाजुक   कोमला , मानक नित संकोच।
नवदुर्गा   जगतारिणी , सजग   रखे   शुभ सोच।।३।।
मनसा   वाचा   कर्मणा ,  परसुख  जीवन   दान।
ममतांचल   छाया   बनी , कौलिक नित सम्मान।।४।।
पढ़ी    लिखी  नारी   सबल , चढ़े  लक्ष्य सोपान।
आज    निर्भया   नारियाँ , सफला हर   अरमान।।५।।
सहज   सरल    मृदुभाषिणी, अश्रु नैन   आगार।
प्रिया    खुशी    मुस्कान वह , साजन मन उद्गार।।६।।
वामांगी       नारायणी , जननी     वह     संसार।
अन्तर्मन   सागर    समा , करुण   नेह   आगार।।७।।
युगधारा   जीवन   सरित , वक्ष  क्षीर  बन   नीर।
नित  संतति   को  सींचती , पाल पोष  हर पीड।।८।।
शान्ति प्रकृति,पर क्रान्ति भी,नित नारी बन धीर।
पर    रक्षण निज  अस्मिता , महाकाल  रणवीर।।९।।
गृहलक्ष्मी     रतिरागिनी , निर्मात्री         परिवार। 
शीला    धीरा   मानिनी , आराध्या        मनुहार।।१०।।
नमन   नियंता    नारियाँ , रिश्तों   का   आधार।
निखर    रही    हर   रूप में , बाहर घर परिवार।।११।।
बनी    रोशनी    जिंदगी , पति  हो या   सन्तान।
सुता   बहन   माता प्रिया , करें   सभी   सम्मान।।१२।।
सुर   नर   दानव   पूजिता, रम्या नित  सुखसार।
क्यों    दहेज    उत्पीड़ना , सहे   शक्ति   संसार।।१३।।
अद्भुत वह   बहुरूपिणी , स्वाभिमान  प्रतिमान।
विध्वंसक   दानव   पतित , दें   नारी    सम्मान।।१४।।
सज   सोलह   शृङ्गार  तनु , दे साजन  उपहार।
नारी   माँ   ममता  प्रिया , नीति  रीति  अवतार।।१४।।
कवि निकुंज शुभकामना,चलो प्रगति नित राह। 
शक्ति सबल निर्भय सफल,पाओ जीवन  चाह।।१५।।
कवि✍️डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
रचनाः मौलिक(स्वरचित)
नई दिल्ली


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...