कवि✍️डॉ. राम कुमार झा "निकुंज" रचनाः मौलिक(स्वरचित) नई दिल्ली

वारः शुक्रवार
दिनांकः २७.०३.२०२०
विषयः नवरात्रि
विधाः स्वेच्छिक
शीर्षकः 🌺🙏नवदुर्गे! जागो पुनः🙏🌺
नवदुर्गे   जागो   पुनः  अवतार  ले जग   त्राण कर,
घिरा   है  चहुँओर  से   आक्रान्त जग  उद्धार कर। 
दानव बहुत बहुरुप में जग भ्रमित हैं विकराल बन।
हैं  प्रलय  बन  संसार  फिर आतप्त  मानव तार दे। 
जगदम्ब  तू अवलम्ब बस  आतप हरो  संताप का,
वरुणास्त्र धर भू शान्त कर कोरोना दावानल बना।
जगतारिणी  ममतामयी  हाहाकार  है फैला जगत् ,
महामारी  है ये  संक्रमण,रक्तबीज बनकर फैलता।
हे  कालिके  कर  दीर्घतर  जिह्वा स्वयं आपद घड़ी,
मानव जिंदगी तू ही बचा महामारी है कपटी  खली।
महिमा तेरी करुणामयी चन्द्रघण्टा तुझे शत शत नमन।
सुन गर्जना तारक असुर हर रक्षण करो खुशियाँ चमन।
महाशक्ति माँ हे वैष्णवी शारदे शिव भाविनी रक्षा करो,
क्रन्दन सुनो आहत मनुज हर रोग जग जन राहत भरो।
कात्यायनी जगदम्ब   तू विकराल  तनु महाकाल बन,
हे शैलजे ब्रह्मचारिणी कर कृपाण धर रण संहार कर।
हे कामाक्षि माँ बगलामुखी रुद्राक्षि भव  जग  तार दे,
कमला शिवा माँ शीतले कोरोना कीटाणुओं को मार दे।
विन्ध्याचली  तारामुखी  हर क्लेश  मानव जाति का,
नवरात्रि में अर्चन भजन कीर्तन नमन करूँ हरिप्रिया।
गिरिजा भवानी सिंहवाहिनि जग मंगला स्वाहा स्वधा,
स्वस्ति कर अरि प्राण हर परित्राण गौरी पूज्या श्रिया।
दे रूप धन जन सौख्य को , यश धीर साहस मान दे,
माँ रिद्धि दे सब सिद्धि जग हो हरित जग वरदान दे।
रह   गेह  कर एकान्त में माँ नवरात्रि का पूजन करें,
फिर  से  जगत् आनंदकर सुख सम्पदा  फूले  फले।।
कवि✍️डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
रचनाः मौलिक(स्वरचित)
नई दिल्ली


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...