कवि ✍️डॉ. राम कुमार झा "निकुंज" नयी दिल्ली

दिनांकः २३.०३.२०२०
वारः सोमवार 
विधाः कविता 
शीर्षकः सावधान बस कोरोना से
सावधान बस कोरोना से,
जागो रे मानव फ़ुफकार सुनो तुम,
महाप्रलय बन दावानल वह,
लपलपा रहा है जहरीली जिह्वा,
ग्रास त्रास उद्यत जनविनाश बन ,
सावधान बस इस महासर्प से
मरीज़ आंकड़ें कोरोना के, 
 विनती बस ,सब घर में ही रहो ना।
हाथ साफ तुम करो ना, 
दूर रहो तुम नित दूसरों से तुम 
अमूल्य तुम्हारा जीवन समझो,
पहन मास्क ख़ुद बचो ना,
डरो नहीं, बस यतन सुरक्षा,
जीने को इतना करो ना,
तुम बचोगे तो राष्ट्र बचेगा , 
रहे मनुज संसार बचेगा , 
करोना दानव से तुम डरो ना , 
सरकार से सहयोग करो ना,  
खुद की जीवन रक्षा करो ना , 
लॉक डाउन का उल्लंघन करो ना,
नाक मुँह को ढको ना , 
सब मिल कर लड़ो ना , 
करोना से सावधान रहो ना , 
खुद को एकान्त करो ना , 
साथ देश का  चलो ना , 
योग व्यायाम करो ना , 
खुद पे विश्वास करो ना , 
नियमों का पालन करो ना , 
जीवन रक्षा करो ना , 
मानवता रक्षक बनो ना।
हुआ डायनासूर फिर से जिंदा ,  
है दहशत में दुनिया सारी , 
वीर साहसी बनो ना ,  
दिक्कतें कुछ दिन सहो ना , 
घर बैठो जिंदा रहो ना, 
महामारी बना कोरोना , 
खुद की हिफ़ाजत करो ना , 
महाजंग का हथियार बनो ना।
खुद बच्चों की रक्षा करो ना , 
घर में कामों को करो ना,  
साथ खड़ी सरकार तुम्हारी , 
हौंसलों की नई उड़ानें भरो ना , 
कुछ दिन संघर्ष करो ना।
छींकों खाँसों ढँक कर कपड़े ,     
फैलाओ ना दुश्मन वायरस , 
कोरोना की हत्या करो ना , 
सब सावधानियाँ रखो ना , 
कुछ दिनों की बात है वन्दे , 
कदम मिला के चलो ना , 
बेकाबू होने से पहले , 
सब मिल कोरोना रोको ना, 
मौत खुला मुख ग्रास बनाने , 
धीर वीर योद्धा बनो ना ।
मन में पूजा करो ना, 
नमाज़, अर्ज़ , पूजन, प्रार्थना ,
घर में रहकर करो ना , 
अनुकूल चिन्तना करो ना , 
खुद का दुश्मन मत बनो ना , 
नीति प्यार पथ चलो ना , 
मज़बूत बनो दिल दिमाग मन , 
कर्मवीर तुम बनो ना , 
लड़ो लड़ाई धर्मयुद्ध का , 
शंखनाद तुम करो ना, 
कोरोना से मत मरो ना ।
पस्त करो इस महा असुर को , 
समझो तुम कर्तव्य स्वयं का , 
अब भी तो संभलो ना , 
रहो साथ इस जहरीले क्षण में , 
कुछ तो संजीदा बनो ना , 
निकलो मत तुम घर से बाहर , 
प्रधान मंत्री का अनुरोध सुनो ना , 
एहतिहात बरतो ना ,   
मार भगाओ कैरोना को , 
खुद जनता कर्फ्यू बनो ना।
जीवन है अनमोल धरोहर, 
खोओ मत रक्षा करो ना , 
मान रहा हूँ , ख़ौफ जटिल है , 
महामारी का आतंक विकटतम, 
सब मिलकर उससे लड़ो ना , 
गाओ सब जयगान राष्ट्र का , 
अनुशासन का पालन करो ना , 
आर पार सरकार स्वयं मिल, 
कोरोना से  रण  लड़ो ना।
तन मन धन अर्पण करो ना ,
निर्मल मति चिन्तन करो ना , 
एक राष्ट्र भक्ति पथ चलो ना , 
जीतेंगे हम महाकाल को , 
रोएगा,भागेगा, कोरोना पछताएगा ,    
महामृत्युंजय शिव सुन्दर जीवन, 
पावन संकल्पित बनो ना ।
नासमझों को विरोध करो ना , 
सरकारों, मॉफी करो ना, 
बरतो तुम अधिकाधिक सख़्ती , 
समझ रहे अधिकार आजादी 
घूम रहे पशुतुल्य बने जो ,
बेमतलब जो समझ रहे खल ,
लॉक डाउन का आदेश नासमझ,
सम्वाहक कोरोना को सम्बल ,
इन गद्दारों को बंद करो ना ।
आवाहन करता मन व्याकुल,
निकुंज जीवन वीरान करो ना,
अमन सुखद चैन तुम रहो ना , 
रफ़्तार कोरोना महारोग को ,
भारत से बाहर करो ना ,
जय मानव गान करो ना ,
विनती मेरी बस सुनो ना ,
रहो संयमित सावधान बस,
बंद कुछेक दिन घर रहो ना।
कवि ✍️डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
नयी दिल्ली


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